मैने देखा है जो इन्हें नही मानते घास भी नही डालते वे सर्वाधिक सुखी रहते है
ज्यादा देवी देवताओं के चक्कर मे मत रहो, ये लोग दिन में 2 बार पूजा करवाकर, अपना सम्मान करवाना जानते है, जब भक्तों पर संकट आता है तो पीठ दिखाकर भाग खड़े होते है, कोई काम नही आएंगे, इसलिए जैन साधुगण इन्हें मिथ्या कहते है, कोई काम के नही ये लोग
चाहे कुलदेवी देवता हो या इष्टदेवी देवता
मेरा अनुभव:- कुलदेवी देवता मोहल्ले के गुंडे की तरह होते है जिनका आपकी दुकान चलाने या सुख समृद्धि में कोई योगदान नही होता पर हप्ता वसूली करने आ धमकते है। यदि नही दिया तो दुकान लूटने या दुकान जला देने की धमकी देते है। यही सच्चाई है इसलिए शुरू से उपेक्षा ही बेहतर होता है
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